ममी का श्राप:
धूप की तीखी किरणें काहिरा की सुनहरी रेत पर ऐसे गिर रही थीं जैसे आसमान से आग बरस रही हो। जून का महीना था, और मिस्र का रेगिस्तान उस समय अपने सबसे क्रूर रूप में था। लेकिन पॉल फोर्सिथ के चेहरे पर थकान का नामो-निशान नहीं था। उसकी आँखों में चमक थी — एक खोजी जिज्ञासा, एक रहस्य को जानने की बेचैनी।
पॉल अमेरिका के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से इतिहास और पुरातत्त्व में शोध कर चुका था। उसका सपना था कि वह ऐसी खोज करे जो इतिहास की धारा को बदल दे। मिस्र की सभ्यता, उसकी ममी, उसके रहस्यमयी पिरामिड — ये सब उसे बचपन से ही आकर्षित करते रहे थे। इस बार वह मिस्र अपने सबसे पुराने मित्र और शोध सहयोगी डॉक्टर एडवर्ड नाबर के साथ आया था।
"एडवर्ड," पॉल ने अपने साथी की ओर देखते हुए कहा, "क्या तुम्हें वो पुराना नक्शा याद है जो प्रोफेसर हैरिस ने हमें दिया था? वही जिसमें एक ‘गुमनाम पिरामिड’ का ज़िक्र था?"
"कैसे भूल सकता हूँ," एडवर्ड ने हँसते हुए कहा, "पर सच कहूँ तो मुझे अब भी शक है कि ऐसा कोई पिरामिड वास्तव में है भी या नहीं।"
"तुम्हारी शंका ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है, डॉक्टर," पॉल मुस्कराया, "लेकिन मैं मानता हूँ कि वहाँ कुछ है... और शायद यही वो खोज हो सकती है जिसका हमें इंतज़ार था।"
काहिरा की रहस्यमयी गलियाँ
काहिरा एक विचित्र मिश्रण था — पुरातनता और आधुनिकता का। एक ओर ऊँची इमारतें और तेज़ कारें थीं, तो दूसरी ओर छोटे-छोटे बाज़ार, मस्जिदों की अज़ान, और गलियों में घूमते ऊँट। पॉल और एडवर्ड पुरातत्व विभाग से विशेष अनुमति लेकर एक स्थानीय गाइड के साथ रेगिस्तान की ओर निकल पड़े।
उनका मार्गदर्शक था एक बुज़ुर्ग स्थानीय — अब्दुल रहीम, जिसकी उम्र सत्तर के पार थी, पर चाल में अभी भी जवानी का जोश था। उसकी आँखें झुर्रियों के बीच भी चमकती थीं, और उसकी आवाज़ में ऐसा असर था कि सुनने वाले ठहर जाएं।
"आपलोग जिस जगह जाना चाहते हैं," अब्दुल ने कहा, "वह कोई आम जगह नहीं। वहाँ जाने वाले कभी लौटे नहीं... या लौटे भी, तो अपने आप को खोकर।"
"क्या तुम उस जगह को जानते हो?" एडवर्ड ने पूछा।
"जानता हूँ... लेकिन वहाँ जाने की हिम्मत मैंने आज तक नहीं की। पर तुम दोनों विदेशी लोग हो... शायद तुम्हें समझाने से बेहतर है कि मैं तुम्हें वहाँ ले चलूँ, ताकि खुद देख सको कि पिरामिड क्या होता है — और उसका श्राप क्या करता है।"
पुरानी पांडुलिपि और भविष्यवाणी
रास्ते में अब्दुल उन्हें एक छोटा-सा कागज़ दिखाता है — एक पुरानी मिस्री लिपि में लिखा हुआ। डॉक्टर नाबर ने उसे पढ़ते ही माथे पर बल डाल दिए।
"यह कुछ चेतावनी जैसा लग रहा है," वह बोला, "कुछ ऐसा — 'जो मेरी नींद को तोड़ेगा, मैं उसके जीवन की नींद तोड़ दूँगी… बीज मेरे हैं, जो उन्हें छुएगा, वह मेरा हो जाएगा।'"
"बीज? यह क्या है?" पॉल ने पूछा।
"शायद कोई धार्मिक या आत्मिक प्रतीक।" डॉक्टर ने जवाब दिया, "लेकिन ये चेतावनियाँ अक्सर डराने के लिए होती हैं।"
"या सच्चाई को छुपाने के लिए।" पॉल की आवाज़ गंभीर हो गई।
पिरामिड की पहली झलक
तीन दिन की यात्रा के बाद, अंततः वे उस स्थान पर पहुंचे, जिसे स्थानीय भाषा में "ख़राब रूहों की घाटी" कहा जाता था। दूर-दूर तक सिर्फ रेत और चट्टानें थीं, और बीच में — अधजमी हुई रेत के भीतर — एक पत्थर की नोक दिखाई दी। वह पिरामिड का सिरा था।
"यह वही है," पॉल की आवाज़ कंपकंपा रही थी, "यह वही पिरामिड है जो इतिहास की किताबों से मिटा दिया गया।"
"और शायद एक आत्मा ने इसे मिटाने को कहा हो," अब्दुल बुदबुदाया।
शाम ढल चुकी थी, और सूर्य की आखिरी किरणें पिरामिड की दीवारों को ऐसे रंग रही थीं जैसे वह लहू से सनी हो।
"कल सूरज उगते ही हम अंदर जाएंगे," पॉल ने कहा।
और उसी समय, रेगिस्तान की ठंडी हवा में एक अजीब-सी सरसराहट सुनाई दी — जैसे कोई धीमे स्वर में कुछ कह रहा हो... "मेरा सामान लौटाओ..."
शापित
द्वार
के
भीतर
अगली सुबह सूरज की पहली किरण रेगिस्तान की सुनहरी रेत पर बिखरी। पर उस सुनहरी चमक के बीच, पॉल के मन में एक अनजाना अंधकार था — रात की सरसराहट, वो फुसफुसाती आवाज़... "मेरा सामान लौटाओ..." बार-बार उसके कानों में गूंज रही थी।
"तैयार हो?" डॉक्टर नाबर ने पूछा, जो खाकी रंग के कपड़े और टोपी में किसी अनुभवी खोजी की तरह लग रहा था।
पॉल ने सिर हिलाया, और अपने बैग से मशालें, रस्सियाँ, कैमरा और एक प्राचीन प्रतीक चिन्ह निकाला, जिसे उसने एक संग्रहालय से विशेष अनुमति पर लाया था। यह प्रतीक एक प्राचीन देवी अनक-सेरा का था, जो कथाओं के अनुसार मृत्यु की रक्षक थी।
अब्दुल रहीम चुपचाप खड़ा था, उसका चेहरा उतरा हुआ था। उसने पॉल को रोकने की एक आख़िरी कोशिश की — "तुम लोग जान नहीं रहे, किसके घर में घुसने जा रहे हो... वो मरी नहीं है, बस इंतज़ार कर रही है..."
"किसका इंतज़ार?" एडवर्ड ने पूछा।
"जिसने उससे कुछ छीन लिया हो..." अब्दुल की आँखें सख्त हो गईं।
गुप्त द्वार की खोज
पिरामिड का बाहरी हिस्सा रेत से आधा ढका हुआ था। किनारों पर प्राचीन मिस्री चित्र और लिपियाँ उकेरी गई थीं। पॉल ने उन्हें ध्यान से देखा — एक देवी, जिसके हाथ में बीज का कटोरा था, और सामने कुछ लोग जो ज़मीन पर गिरकर मरते हुए दर्शाए गए थे।
"ये वही बीज हैं... और शायद इनकी चोरी ही उस श्राप का कारण बनी।" पॉल ने बुदबुदाते हुए कहा।
छोटे औजारों की मदद से उन्होंने एक तरफ की दीवार को खुरचा — और वहाँ एक पत्थर हिला। जैसे ही पत्थर सरका, नीचे की ओर एक रास्ता खुल गया। वह रास्ता संकरा, अंधेरा और सीढ़ियों से भरा था।
"यह है — शापित द्वार..." अब्दुल फुसफुसाया।
पिरामिड
के
भीतर
प्रवेश
पॉल ने मशाल जलायी, और एडवर्ड ने अपनी पॉकेट लाइट। सीढ़ियाँ नीचे, बहुत नीचे जा रही थीं। हर कदम पर हवा भारी होती जा रही थी। दीवारों पर चित्र थे — युद्ध, बलिदान, मृत्यु, पुनर्जन्म...
और एक औरत — जिसका चेहरा कभी स्पष्ट दिखता, कभी धुंधला।
सीढ़ियाँ एक गोल गलियारे में खुलीं, जहाँ गंध बहुत अजीब थी — जैसे किसी जले हुए लोबान, मिट्टी और कुछ सड़ा-गला मिला हो।
"यहाँ सदियों से कोई नहीं आया," एडवर्ड ने कहा, "और हवा अब भी ज़िंदा है..."
आगे बढ़ते हुए उन्हें एक द्वार मिला — लोहे और पत्थरों से बना। उस पर मिस्री लिपि में कुछ लिखा था, और बीच में एक हाथ जितनी जगह थी।
"यह द्वार तभी खुलेगा जब...?"
"शायद खून से..." पॉल ने कहा, और उसने अपनी उंगली काट कर उस जगह पर स्पर्श किया।
एक पल के लिए सब कुछ शांत रहा — फिर ज़ोर की आवाज़ हुई, और दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला
ममी की आंखें
पथरीले दरवाज़े के खुलते ही एक ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरों से टकराया। यह हवा रेत भरे रेगिस्तान में संभव नहीं थी। ऐसा लगता था मानो किसी ने साँस लेकर उन्हें चेतावनी दी हो।
"कोई है यहाँ…" पॉल फुसफुसाया।
"या कोई हमारी प्रतीक्षा कर रहा है…" एडवर्ड ने जोड़ा।
दीवारों पर अब चित्र नहीं थे। बस दरारें थीं, जैसे भीतर कुछ फड़कता रहा हो सदियों तक और पत्थर भी थक कर टूटने लगे हों। तीनों धीरे-धीरे भीतर चले, उनके कदमों की आवाज़ एक डरावनी गूंज में बदलती जा रही थी।
कुछ दूर पर, एक बड़ा कक्ष खुला — गुंबदनुमा, जिसका केंद्र एक ऊँचे चबूतरे पर बना था।
मुख्य समाधि कक्ष
उस चबूतरे पर रखी थी — एक विशालकाय ममी। पर यह किसी आम ममी जैसी नहीं थी।
उसका शरीर गाढ़े सुनहरे कपड़े में लिपटा था।
सिर पर साँप के आकार का मुकुट।
गले में नीलम-जड़ी हार।
और सबसे अजीब — उसकी आंखें खुली थीं।
"ये कैसे संभव है?" एडवर्ड डर गया, "ममी की आंखें तो सदियों पहले निकाल दी जाती थीं!"
"ये कोई सामान्य रानी नहीं थी..." पॉल ने कहा, और ध्यान से समाधि के नीचे उकेरी लिपि पढ़ने लगा।
लिपि का अनुवाद
"अनक-सेरा, मृत्यु की देवी, अपने बीजों की रक्षा करती है। जो उसकी नींद तोड़ेगा, वह शापित होगा। बीज लौटाओ, या तुम्हारा रक्त उसका बीज बनेगा…"
पॉल ने काँपते हुए अनुवाद पढ़ा।
"बीज?" एडवर्ड ने पूछा।
पॉल ने धीरे से अपने बैग से एक छोटी सोने की शीशी निकाली — उसमें चमकते हुए बीज थे। "ये वही हैं… इन्हें मैंने दो साल पहले एक गुमनाम कब्र से खोजा था। तब नहीं जानता था कि ये इसी देवी से जुड़े हैं।"
"तो रात को जो आवाज़ आई थी — 'मेरा सामान लौटाओ' — वो इसी की थी?"
"शायद हाँ..."
रहस्यमय संकेत
जैसे ही पॉल ने बीज निकालकर हवा में हिलाया, ममी की आंखें चमक उठीं। उसके होंठ हल्के से काँपे। हवा एक बार फिर सरसराई — अब की बार स्पष्ट:
"रख दो..."
"अबे यह तो..." एडवर्ड पीछे हट गया, पर पॉल मंत्रमुग्ध हो चुका था।
वह धीरे-धीरे चबूतरे की ओर बढ़ा और बीज ममी के पैरों के पास रख दिए।
एक क्षण को सब कुछ शांत हो गया।
अचानक…
चबूतरे के नीचे ज़मीन कांपी। दीवारों पर एकाएक मशालें जल उठीं, बिना किसी छुअन के। ममी के शरीर से एक सुनहरी धूल सी निकली और हवा में घुल गई।
फिर — एक स्त्री की छाया उस धूल से बनकर सामने खड़ी हो गई। काँसे के जैसी चमकदार त्वचा, आँखों में सदियों का दुःख, और कंधों पर राजा की तरह भार।
"तुमने मेरा सामान लौटा दिया…" वह बोली, पर आवाज़ सीधे दिल में गूंजती थी।
"तो क्या… तुम्हारा श्राप मिट गया?" पॉल ने पूछा।
वह मुस्कुराई, "मिटा नहीं… अब पूरा होगा। क्योंकि जो लौटाता है… उसे चुन लिया जाता है।"
चुने गए का अभिशाप
पॉल रानी अनक-सेरा की आत्मा को सामने देख कर स्तब्ध खड़ा था। यह कोई भ्रम नहीं था। वह छाया जीवित थी — उसकी आँखें जल रही थीं, जैसे हजारों सालों की अग्नि उस एक पल में सिमट आई हो।
"तुमने मुझे नींद से जगाया है, पॉल," रानी बोली, "अब तुम्हारी आत्मा मेरी हो गई है।"
"मैंने तो केवल बीज लौटाए हैं..." पॉल ने काँपती आवाज़ में कहा।
"बीज लौटाना सौदा पूरा करना है, और सौदा करने वाला कीमत चुकाता है।" उसकी छाया हवा में पिघलती हुई पॉल के चारों ओर लिपटने लगी।
अजीब परिवर्तन
पॉल की आँखें बंद हो गईं। शरीर अकड़ गया। चंद सेकंडों तक वह बेहोश खड़ा रहा, और फिर धीरे-धीरे उसकी उंगलियाँ मुट्ठियों में बदल गईं। जब उसने दोबारा आँखें खोलीं, तो उसकी आँखों की पुतलियाँ गहरे नीले रंग की थीं — वैसी जैसी रानी अनक-सेरा की ममी की थीं।
"पॉल?" एडवर्ड ने आवाज़ दी।
पॉल ने सिर घुमाया, लेकिन अब उसकी चाल में अजीब सा ठहराव था — जैसे वह अब खुद पॉल न होकर कोई और हो।
"मैं ठीक हूँ," उसने कहा, लेकिन आवाज़ दोहरी थी — एक पॉल की, एक किसी स्त्री की गूंजती हुई।
रहस्यमयी डायरी
अब्दुल, जो अब तक दूर खड़ा रहा था, बोला, "हमें अभी निकलना होगा... वो पॉल अब पूरी तरह पॉल नहीं रहा।"
एडवर्ड ने वहीं पास में एक पत्थर पर धंसी पुरानी किताब देखी। उसने उसे निकाला — चमड़े की जिल्द में लिपटी हुई एक प्राचीन डायरी। ऊपर मिस्री लिपि में लिखा था: "गवाह की डायरी – महायाजक सेराह"
उन्होंने उसे खोला — अंदर की पहली पंक्तियाँ थीं:
"मैंने देखा था वो दिन, जब रानी की आत्मा फिर से जगेगी। वह किसी आगंतुक को अपनाएगी। और तब… बीज फिर से अंकुरित होंगे, पर उस अंकुरण से जीवन नहीं, मृत्यु उपजेगी…"
एडवर्ड ने अब्दुल की ओर देखा: "इसका मतलब?"
अब्दुल बोला, "पॉल अब एक माध्यम बन चुका है — शायद रानी की आत्मा उसी के माध्यम से बाहर आना चाहती है… और बीज का प्रयोग अब कुछ बड़ा करने के लिए होगा।"
पॉल की चेतावनी
अचानक पॉल की दोहरी आवाज़ फिर गूंजी: "मैं ठीक हूँ… अभी मेरे अंदर समय है। पर जल्दी करो… वह पूरी तरह जागने वाली है। जब वो जागेगी… मैं नहीं बचूंगा…"
एडवर्ड आगे बढ़ा — "पॉल, हम तुम्हें यूँ नहीं छोड़ेंगे!"
पर जैसे ही उसने पॉल का हाथ पकड़ा, पॉल की हथेली से एक तेज़ रोशनी निकली और एडवर्ड पीछे गिर पड़ा। उस रोशनी में कुछ आकृतियाँ दिखीं — युद्ध, मृत्यु, बीजों से निकलते सर्प, और एक राजसी सिंहासन जिस पर एक स्त्री बैठी थी।
रेगिस्तान में विदाई
अब वे तीनों तेज़ी से पिरामिड से बाहर निकले। जैसे ही वे बाहर निकले, सूरज डूबने को था। पॉल अब शांत था, पर उसकी आँखों में एक चुपचाप आग सुलग रही थी।
"हमें इस बीज की ताक़त को समझना होगा," एडवर्ड ने कहा। "इससे पहले कि कोई और इसका शिकार बने…"
पॉल धीरे से बोला, "या मैं ही बन जाऊँ सबके लिए ख़तरा!" पर अब उसकी आवाज़ पहले जैसी नहीं थी। उसमें एक गहराई थी, एक गूँज, जैसे सदियों की रेत उसके स्वर में सिमट आई हो।
"तुम लोग यहाँ से चले जाओ…" वह बुदबुदाया।
"पॉल, क्या तुम ठीक हो?" एडवर्ड ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा।
"मैं ठीक नहीं… और जल्द ही यह जगह भी नहीं रहेगी…" उसकी आँखें चमकने लगीं, और वह आगे बढ़ा, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे निर्देश दिया हो। “रानी जाग गई है… और उसके बीजों को अब समय चाहिए… रक्त चाहिए…”
गुप्त शक्ति की हलचल
अब्दुल ने धीरे से एडवर्ड का हाथ पकड़ा और फुसफुसाया, "हमें अभी यहाँ से भागना होगा, वरना हम सब भी उसका हिस्सा बन जाएँगे।"
"लेकिन पॉल?" एडवर्ड हिचकिचाया।
"अब वह पॉल नहीं रहा। अगर उसे बचाना है, तो पहले इस शाप को समझना होगा — और इसके लिए हमें इस डायरी को सुरक्षित बाहर ले जाना होगा।"
तभी, ज़मीन फिर से हिली। उस समाधि कक्ष की दीवारें एक अजीब कंपन से गूंज उठीं। ममी जिस चबूतरे पर रखी थी, उसके नीचे से नीली रोशनी फूटने लगी — जैसे कोई ऊर्जा सक्रिय हो रही हो।
पॉल ने अपनी मुट्ठियाँ खोलीं — उसकी हथेलियों पर प्राचीन मिस्री चिन्ह खुद-ब-खुद उभर आए थे, जैसे किसी ने उन्हें जलती हुई छड़ी से उकेरा हो।
रानी का संदेश
उसके होठों से एक और वाक्य निकला — इस बार स्त्री स्वर में, एकदम स्पष्ट:
"मुझे जगाने वाले को मेरी आत्मा का भार उठाना होगा… और अब वह समय आ गया है जब बीजों से नया युग जन्म लेगा। यह संसार… दोबारा संतुलित होगा… रक्त के माध्यम से…"
भागने की कोशिश
एडवर्ड और अब्दुल तुरंत समझ गए कि उन्हें वहाँ एक पल भी नहीं रुकना चाहिए। दोनों ने जल्दी से डायरी और कैमरा समेटा और बाहर की ओर भागे। सीढ़ियाँ अब और गहराई में जा रही थीं, और पीछे से हवा फिर बदलने लगी थी — वह अब सामान्य हवा नहीं थी, उसमें सड़ी लाशों की गंध और राख की गर्मी थी।
"रास्ता बंद हो रहा है!" अब्दुल चिल्लाया, जब उन्होंने देखा कि पत्थरों से भरा मार्ग धीरे-धीरे धँस रहा है।
बाहर की दुनिया में वापसी
किसी तरह, दौड़ते और गिरते-पड़ते वे दोनों बाहर निकलने में सफल हुए। जैसे ही उन्होंने बाहर कदम रखा, उनके पीछे पिरामिड का द्वार ज़ोर से बंद हुआ — जैसे किसी ने सदियों पुराना रहस्य फिर से सील कर दिया हो।
एडवर्ड ने पीछे मुड़कर देखा — रेगिस्तान शांत था, लेकिन उसे महसूस हुआ जैसे हवा में अब भी कोई साँस ले रहा हो… कोई देख रहा हो।
अंतिम दृश्य
एडवर्ड और अब्दुल बाल-बाल बचे, लेकिन अब उनके पास वह डायरी थी, जो भविष्य के भयानक रहस्य खोलने वाली थी।
और पॉल…? वह अब पॉल नहीं था।
वह अब अनक-सेरा की आत्मा का वाहक था — और वह यहीं नहीं रुकेगा।
भोर की शुरुआत
–
काहिरा के होटल में एडवर्ड की आँखें हड़बड़ा कर खुलीं। उसकी साँसें तेज़ थीं, शरीर पसीने से भीगा हुआ। खिड़की के बाहर सुबह की हल्की धूप काहिरा की इमारतों पर फैल रही थी, लेकिन उस रोशनी में भी उसे अंधकार का आभास हो रहा था — जैसे कोई परछाईं उसकी चेतना के साथ चिपक गई हो।
अब्दुल उसके पास बैठा था, चाय का प्याला हाथ में लिए हुए। उसने चिंतित स्वर में पूछा, “क्या फिर वही सपना देखा?”
एडवर्ड ने सिर हिलाया, “पॉल… वह अब भी मुझे पुकार रहा है। पर उसकी आवाज़ अब इंसानी नहीं रही। जैसे अनक-सेरा की आत्मा ने उसे पूरी तरह अपने अंदर समा लिया हो।”
अब्दुल ने डायरी की ओर इशारा किया, जो अब भी उनकी मेज़ पर खुली रखी थी। “इसमें उस रानी के रहस्यों के अलावा भी बहुत कुछ है। मुझे लगता है यह सिर्फ एक इतिहास नहीं… एक भविष्यवाणी भी है।”
2. डायरी का रहस्य और पुरानी भविष्यवाणी डायरी के पन्ने अब स्वयं में एक चेतन प्रतीत होते थे। जैसे-जैसे अब्दुल और एडवर्ड उसे पढ़ते, उनमें नई इबारतें उभरती जातीं — कुछ मिस्री चित्रलिपि में, कुछ धुंधली अंग्रेज़ी में।
“यह देखो,” अब्दुल ने एक चित्र की ओर इशारा किया — एक व्यक्ति जिसका शरीर आधा मानव और आधा देवता सा था। उसके चारों ओर काले धुएँ की आकृतियाँ थीं, और नीचे एक वाक्य लिखा था:
“जिसने रानी को जगाया, वह अब समय का भार ढोएगा — और उसका रक्त काल का वाहक होगा।”
“क्या यह पॉल की बात कर रहे हैं?” एडवर्ड ने आशंकित स्वर में कहा।
“हाँ,” अब्दुल बोला, “और शायद… यह सिर्फ रानी की आत्मा की बात नहीं है, बल्कि कुछ और भी है — एक पुनर्जन्म, एक चेतना जो मानव शरीर को उपयोग करके खुद को फिर से इस संसार में प्रकट करना चाहती है।”
3. दुनिया में असामान्य घटनाएँ शुरू होती हैं काहिरा से लंदन, वॉशिंगटन, दिल्ली तक — वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के बीच अजीब घटनाएँ होने लगीं। रातों को म्यूज़ियम्स में रखी मिस्री वस्तुएँ कंपन करने लगतीं, ममियाँ जिन पर सदियों से कोई असर नहीं हुआ था, अब धीरे-धीरे नमी और गर्मी की प्रतिक्रिया देने लगीं।
BBC और Al-Jazeera पर ख़बरें आने लगीं: “क्या प्राचीन मिस्र का कोई रहस्य फिर से जाग गया है?”
एक पुरातत्वविद, प्रोफेसर लियोनार्ड हेसिंग्स ने लंदन से एक वीडियो संदेश जारी किया: “किसी ने अनक-सेरा की ममी को छेड़ा है… और इससे पहले जब ऐसा हुआ था, मिस्र की तीन सभ्यताएँ धूल में मिल गई थीं।”
पॉल का नया रूप
– आत्मा का पुनर्जागरण
एक रात, एडवर्ड को एक ईमेल मिला — भेजने वाले का नाम था P.C. Emerson, यानी पॉल का पूरा नाम।
ईमेल में सिर्फ एक फोटो थी — एक आँख, जो स्पष्ट रूप से इंसानी नहीं थी। वह आँख स्याह थी, पर उसकी पुतली सुनहरी थी, जैसे सूर्य और अंधकार एक साथ सिमट आए हों।
नीचे एक वाक्य था:
“मैं अब समय के परे हूँ। पर हम फिर मिलेंगे, मेरे पुराने मित्र…”
हॉलैंड की घटना
दो सप्ताह बाद, हॉलैंड के एक संग्रहालय में एक अजीब घटना घटी। एक पर्यटक की आँखों से खून बहने लगा जब उसने अनक-सेरा की प्रतिकृति के पास फोटो खिंचवाने की कोशिश की। पुलिस और वैज्ञानिक इसे मानसिक भ्रम मानते रहे, लेकिन जब CCTV फुटेज में एक अस्पष्ट परछाईं घूमती नज़र आई — तो सब खामोश हो गए।
एडवर्ड को यक़ीन हो गया — पॉल अब इधर-उधर घूम रहा है, और हर उस जगह जा रहा है जहाँ मिस्र की शक्ति या निशानियाँ मौजूद हैं।
रहस्य की गहराई
– अब्दुल की खोज
अब्दुल ने एक और दिलचस्प बात डायरी में खोजी — अनक-सेरा की आत्मा को रोकने का एक तरीका लिखा था।
“यह देखो, एडवर्ड,” उसने कहा। “यहाँ लिखा है कि अगर आत्मा को जगाने वाले को समय रहते आत्मा से मुक्त न किया जाए, तो वह ‘मध्य काल के नील मंदिर’ में जाकर पूरी शक्ति प्राप्त कर सकती है।”
“नील मंदिर?” एडवर्ड ने पूछा।
“हाँ, एक प्राचीन स्थल जो अब सिर्फ मिथक माना जाता है — पर अगर हम वहाँ पहुँचे, तो शायद पॉल को बचा सकें… या कम से कम दुनिया को उससे।”
नई यात्रा की तैयारी
एडवर्ड और अब्दुल ने एक बार फिर पुरानी टीम को इकट्ठा किया — प्रोफेसर लेला फातिमा (मिस्र विदुषी), एलन ग्रेव्स (भूगर्भ विशेषज्ञ) और पायलट हाशिम।
“यह यात्रा पिछली से भी ज़्यादा खतरनाक होगी,” लेला ने चेतावनी दी।
“लेकिन अब यह सिर्फ इतिहास की खोज नहीं — यह इंसानियत की रक्षा है,” एडवर्ड ने दृढ़ता से कहा।
अध्याय का अंतिम दृश्य
काफ़िला मिस्र के दक्षिणी क्षेत्र में एक भूले-बिसरे रास्ते पर चल पड़ा — उन्हें “नील मंदिर” की छाया में उतरना था।
रात को, एडवर्ड को फिर सपना आया — पॉल, अब एक अजनबी चेहरा लिए, एक ऊँचे सिंहासन पर बैठा था। उसके चारों ओर धुएँ से बनीं सर्पाकार आत्माएँ नृत्य कर रही थीं। वह बोला:
“जल्द ही… सब मेरे होंगे। और तुम… मेरे पहले रक्तदाता…”
दक्षिणी मिस्र की तपती रेत
एडवर्ड, अब्दुल और उनकी टीम काहिरा से दक्षिण की ओर एक पुराने हेलिकॉप्टर में रवाना हुए। हवा गर्म थी, और नीचे फैली रेत सूर्य की किरणों से आग सी चमक रही थी। इस बार उनकी मंज़िल कोई ज्ञात स्थल नहीं था — बल्कि वह रहस्यमय स्थान जिसे “नील मंदिर” कहा गया था, और जिसकी पुष्टि अब तक केवल दंतकथाओं और कुछ धुंधले चित्रों में होती आई थी।
पायलट हाशिम ने पीछे मुड़कर कहा, “हम अब उस रेखा को पार कर रहे हैं जहाँ से उपग्रह सिग्नल भी कमजोर पड़ने लगते हैं। अगर आप पीछे मुड़ना चाहें, तो अब भी वक़्त है।”
एडवर्ड ने गहरी साँस ली। “पीछे जाने का सवाल ही नहीं उठता। इस बार बात केवल पॉल की नहीं — इंसानियत की है।”
2. खोए हुए रास्ते GPS अब उपयोगी नहीं रहा था। हाशिम को केवल पुराने नक्शों और स्थानीय कबीलों के किस्सों पर भरोसा करना पड़ रहा था। अब्दुल ने डायरी के उस हिस्से को फिर से पढ़ा जिसमें नील मंदिर का संकेत था:
“जहाँ नील की छाया, रेत से गले मिले, और सूर्य अपने तीसरे नेत्र से धरती को देखे — वहीं मंदिर छुपा है।”
“तीसरा नेत्र? शायद कोई चट्टान या आकृति जो सूर्यास्त के समय एक आँख जैसी दिखती हो,” लेला ने अनुमान लगाया।
नीचे उड़ते हुए उन्हें एक ऐसा ही क्षेत्र दिखा — तीन विशाल पत्थर, जिनकी छाया सूर्य की रोशनी में एक त्रिनेत्र का आभास दे रही थी।
हाशिम ने हेलिकॉप्टर उतारने की तैयारी की।
पथरीली घाटी में प्रवेश
नीचे उतरते ही गर्म हवा ने सबका स्वागत किया। रेत में उनके पाँव धँसते जा रहे थे, लेकिन वे उस दिशा में चल पड़े जहाँ तीनों पत्थरों की छाया मिली थी।
रास्ते में अचानक हवा की गति बदल गई — जैसे किसी अदृश्य द्वार से वे गुजर रहे हों।
“मैंने ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया,” एलन ने धीरे से कहा, “जैसे समय का प्रवाह यहाँ अलग है।”
और फिर, जैसे ही वे अंतिम पत्थर के पास पहुँचे, ज़मीन एक बार फिर थरथराने लगी — लेकिन यह किसी भूकंप जैसा नहीं था। यह कंपन सिर्फ उनके पैरों के नीचे था — जैसे रेत उन्हें नीचे बुला रही हो।
“यहीं है मंदिर,” अब्दुल ने कहा।
“पर रास्ता?” लेला ने पूछा।
और तभी… रेत हटने लगी — खुद-ब-खुद।
मंदिर का द्वार
रेत के नीचे से एक द्वार उभरा — पत्थर का बना हुआ, जिसके ऊपर मिस्री चित्रलिपियाँ खुदी थीं। अब्दुल ने उसे पढ़ा:
“यहाँ वह आत्मा विश्राम करती है जिसे जगाना मृत्यु का निमंत्रण है। भीतर जाने वाले को अपने जीवन से विदा लेनी होगी।”
“खूबसूरत चेतावनी,” एलन ने कहा, “पर हम यहाँ आ ही चुके हैं।”
एडवर्ड ने कदम आगे बढ़ाया, और द्वार पर हाथ रखते ही वह धीरे-धीरे खुल गया।
अंदर गहरा अंधकार था — लेकिन जैसे ही वे अंदर घुसे, दीवारों पर बनी मूर्तियाँ चमकने लगीं — बिना किसी मशाल या बिजली के। यह मंदिर जीवित था।
मंदिर की आत्मा और पहला संकेत
मंदिर की गहराइयों में प्रवेश करते ही वातावरण में एक भीगी धूल की महक थी — और किसी पुराने इत्र की भी, जैसे किसी रानी की आत्मा अब भी यहाँ सजी हुई हो।
अचानक, एडवर्ड को एक दीवार पर वही आँख दिखी जो उसे पॉल ने ईमेल में भेजी थी।
“वह यहीं है,” उसने फुसफुसाया।
दीवार पर चित्रलिपि में एक वाक्य उभरा:
“वाहक को शुद्ध करना होगा, अन्यथा वह पूरी सभ्यता को अपवित्र कर देगा।”
“यह आत्मा पॉल के माध्यम से दुनिया को नया आकार देना चाहती है,” लेला ने कहा। “शायद विनाश के माध्यम से पुनर्जन्म।”
आवाज़ें — जो दीवारों से आईं
तभी दीवारों से गूंजती आवाज़ें सुनाई देने लगीं — स्त्री और पुरुष स्वर आपस में उलझते, जैसे पुरातन आत्माएँ जाग रही हों।
“एडवर्ड… तुमने मुझे जगाया… अब मैं तुम्हारे माध्यम से नया युग लाऊँगी…”
अब्दुल ने डायरी के अंतिम पन्नों में देखा — पन्ना अब जलने लगा था, जैसे उसकी भूमिका अब पूरी हो चुकी हो।
“हमें जल्दी करनी होगी। रानी अब जाग चुकी है… और पॉल इस मंदिर के बीचोंबीच होगा,” उसने कहा।
मंदिर
का
ह्रदय — और पॉल
वे सभी एक केंद्रीय सभागार में पहुँचे, जहाँ एक बड़ा मंच था — उस पर पॉल बैठा था, आँखें बंद, लेकिन चेहरे पर शांति और भय दोनों की छाया।
उसके चारों ओर चार मूर्तियाँ थीं — देवता, जो अंधकार और प्रकाश दोनों के प्रतीक थे। बीच में एक हरे प्रकाश की लौ जल रही थी, जो ज़मीन से उठती प्रतीत होती थी।
पॉल की आँखें खुलीं।
“तुम सब आ गए…” वह बोला — लेकिन स्वर अब पॉल का नहीं था।
“मैं अनक-सेरा हूँ। और यह मेरा पुनर्जन्म है। पॉल अब मेरा शरीर है — और यह लौ मेरा जीवन।”
मंदिर की अग्नि परीक्षा**
(विस्तारित रहस्य, भय और आत्मा की परीक्षा)*
लौ
के घेरे में**
नील मंदिर के उस गूंजते हुए सभागार में अब हर एक पल भारी था — जैसे स्वयं वक़्त अपनी साँसें रोककर इस दृश्य को देख रहा हो। पॉल के चारों ओर फैली हरियाली जैसी लौ अब धधकती जा रही थी। उसकी त्वचा पर मिस्री चित्र उभर रहे थे, और उसकी आँखें पूरी तरह सफेद हो चुकी थीं।
“मैं अनक-सेरा हूँ…,” वह फिर बोला, “और यह लौ मेरा जीवन है… मेरी शक्ति… मेरी आग…”
एडवर्ड ने साहस करके एक कदम आगे बढ़ाया।
“पॉल! मुझे पता है तुम अब भी कहीं भीतर हो। मैं तुम्हें ऐसे नहीं छोड़ सकता!”
उसकी बात पर पॉल का चेहरा एक क्षण को काँपा। आँखों में एक पल को दर्द उभरा — लेकिन तुरंत फिर वही स्त्री स्वर गूंजा:
“वह अब नहीं है। उसकी आत्मा मेरी लौ से बँध चुकी है। उसे छुड़ाना है तो… अग्नि परीक्षा दो।”
\अब्दुल ने उस मंच के पास की दीवार पर उभरे चिन्हों को पढ़ा — वे चमकने लगे थे:
> *"चार द्वार, चार तत्व — वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन्हें पार किए बिना आत्मा मुक्त नहीं होती।
> जो सफल होगा, वही वाहक की आत्मा को लौटा सकता है। पर असफलता… उसे भी उसी लौ में समाहित कर देगी।"*
“हमें यह परीक्षा देनी होगी,” अब्दुल ने कहा। “और समय बहुत कम है।”
---
पहला द्वार: वायु की भूलभुलैया**
एडवर्ड, लेला और अब्दुल ने पहला द्वार खोला। अंदर एक संकरी गुफा थी, जहाँ हर ओर से तेज़ हवा चल रही थी। लेकिन यह हवा सामान्य नहीं थी — वह किसी अदृश्य चीज़ से टकराकर घूमती थी, जैसे रास्ता खुद बदल रहा हो।
दीवारों पर उभरे शब्द चमकते थे:
> *"जिसे रास्ता दिखे, वह खो जाता है। जो आँख बंद करे, वही सही दिशा पाएगा।"*
एडवर्ड ने आँखे मूँदी और साँसों की धड़कन को महसूस किया — एक बहुत धीमी आवाज़, दिल की धड़कनों जैसी। वह उस ध्वनि के पीछे चलने लगा।
कुछ समय बाद, वह एक गुफा के बाहर था — अब्दुल और लेला भी वहीं थे, अपने-अपने तरीके से रास्ता पार कर चुके थे।
---
दूसरा द्वार: अग्नि का दर्पण**
यह कक्ष लाल पत्थरों से बना था, और बीच में एक विशाल दर्पण लटका था — उसमें खुद की छवि देखना असंभव था, क्योंकि उसमें वह दिखाई देता था जिससे आप डरते थे।
एडवर्ड ने जैसे ही झाँका — उसे पॉल की मरी हुई देह दिखी, राख में बदली हुई।
लेला ने झाँका — उसे अपनी माँ दिखीं, जिनकी मृत्यु उसके कारण हुई थी।
अब्दुल ने देखा — वह एक बंजर भूमि में अकेला खड़ा था, सबने उसे छोड़ दिया था।
लेकिन दीवार पर चमकता वाक्य था:
> *"जिसने अपने भय को स्वीकारा, वही दर्पण को पार कर सकता है।"*
एडवर्ड ने हाथ बढ़ाया और अपनी छवि को छुआ — वह जलने लगी, लेकिन वह नहीं हटा। अग्नि धीरे-धीरे ठंडी हुई, और रास्ता खुल गया।
---
तीसरा द्वार: जल का निर्णय**
यहाँ एक झील थी — पारदर्शी, लेकिन उसमें गहराई का कोई अंत नहीं दिखता था। एक काठ की नाव किनारे बंधी थी।
दीवार पर वाक्य था:
> *"जो पार जाना चाहे, उसे अपना अतीत समर्पित करना होगा।"*
नाव में बैठते ही, जल की लहरें बोलने लगीं —
“अपना सबसे गहरा पछतावा बोलो, वरना नाव डूब जाएगी।”
एडवर्ड ने कहा, “मैंने पॉल को ज़बरदस्ती इस यात्रा में खींचा… उसकी किस्मत बदल दी। मैं दोषी हूँ।”
लेला ने फुसफुसाया, “मैंने माँ को मरने दिया… क्योंकि मैं डर गई थी।”
अब्दुल ने कहा, “मैंने अपने भाई को धोखा दिया… और आज तक सज़ा नहीं पाई।”
नाव स्थिर रही। झील पार हुई।
---
चौथा द्वार: पृथ्वी की पीड़ा**
यह कमरा शुष्क था — चारों ओर दरारें, टूटी मूर्तियाँ, और बीच में एक दिल के आकार का पत्थर, जो साँस लेता दिखता था।
> *"इस ह्रदय में दुख समाया है। कोई उसे अपना दुःख दे — केवल तब ही वह नर्म होगा।"*
एडवर्ड आगे बढ़ा।
उसने हाथ पत्थर पर रखा और कहा, “अगर पॉल को वापस लाने के लिए मुझे उसकी पीड़ा सहनी है, तो मैं तैयार हूँ।”
पत्थर के भीतर से एक हल्की गूँज आई — और वह टूट गया।
---
लौ की ओर वापसी — अंतिम समर्पण**
चारों द्वार पार करके, वे फिर उसी केंद्रीय कक्ष में लौटे। लौ अब नीली हो चुकी थी — लेकिन पॉल अब भी उससे जुड़ा हुआ था।
एक आवाज़ गूंजी —
“अब आख़िरी बलिदान — अपनी आत्मा का एक अंश दो। केवल तब वह लौटेगा।”
एडवर्ड ने बिना हिचक के अपनी हथेली काटी — खून लौ पर टपका।
पॉल की देह काँपी। उसकी आँखों में फिर वही पीड़ा उभरी… और इस बार आवाज़ उसकी अपनी थी।
“ए…एडवर्ड…?”
---
**अंतिम दृश्य: लौ बुझती है**
एक तेज़ प्रकाश चमका — फिर सब कुछ शांत हो गया।
पॉल बेहोश पड़ा था — लेकिन जीवित।
एडवर्ड घुटनों पर था — कमज़ोर, पर मुस्कुराता हुआ।
अब्दुल ने धीरे से कहा, “तुमने अग्नि परीक्षा पार कर ली, दोस्त।”
** रानी का पुनर्जागरण**
आत्मा का पुनर्जन्म और छिपे हुए संकेत)*
खामोशी के बाद**
रेगिस्तान की रात सर्द थी, लेकिन उस मंदिर के बाहर की हवा अब भी भारी लग रही थी — जैसे कोई अदृश्य भार उसमें तैर रहा हो।
एडवर्ड ने धीरे से पॉल की धड़कन सुनी। वह होश में था, लेकिन आँखें अब भी बंद थीं। अब्दुल और लेला ने पास की चट्टानों से तंबू निकाल कर उन्हें ओढ़ा।
पॉल ने अचानक करवट ली और बड़बड़ाया, “वो… लौ अब बुझ गई नहीं है… वो बस… रुकी है…”
एडवर्ड ने पूछा, “तुम्हारा मतलब क्या है?”
पॉल ने आँखें खोलीं — उनमें अब भी अजीब सी चमक थी, लेकिन स्वर सामान्य था।
“मैं उसे महसूस कर सकता हूँ… अनक-सेरा अभी भी मुझमें है… लेकिन कमज़ोर… जैसे कोई सो रहा हो, पर पूरी तरह मरा नहीं है।”
---
डायरी का रहस्य खुलता है**
अब्दुल ने डायरी को खोला — जिस पर अब नई इबारत उभर आई थी, जो पहले नहीं थी।
> *"यदि अग्नि बुझ भी जाए, तो भी राख में बीज छिपे रहते हैं।
> रानी की आत्मा केवल उन स्थानों पर शांत होती है जहाँ उसका अतीत न्याय पा चुका हो।
> जिसने उसके बच्चों को मारा, उसकी आत्मा अब भी धरती पर है — और वही उसकी लौ को फिर प्रज्वलित कर सकती है।"*
एडवर्ड ने भौंहें सिकोड़ीं। “इसका मतलब… रानी के बच्चों की हत्या कोई और कहानी है? शायद सच्चाई हमें बताई नहीं गई थी?”
लेला बोली, “और शायद वह कातिल… अब भी जीवित है… किसी और रूप में।”
मिस्र की पुरानी कथा का अनसुना पन्ना**
अब्दुल ने कहा, “मिस्र के इतिहास में एक अनकही कथा है — कहते हैं कि रानी अनक-सेरा के बच्चों को ज़हर से मारा गया था, और दोष किसी दुश्मन देश पर मढ़ दिया गया था। लेकिन सच्चाई… यह थी कि उसी के एक वज़ीर ने उन्हें मारा — ताकी वह उत्तराधिकारी बन सके।”
एडवर्ड बोला, “क्या हो अगर उस वज़ीर की आत्मा अब भी कहीं भटक रही हो? या… किसी मानव शरीर में जन्म ले चुकी हो?”
पॉल ने सहम कर कहा, “मैंने उसे देखा था… लौ के भीतर… एक छाया, जो हँस रही थी। एक आदमी, जिसकी आँखें काली थीं… और जिसने रानी को धोखा दिया था।”
---
शहर में एक नया संकेत**
अगले दिन वे लोग वापस काहिरा लौटे — लेकिन सब कुछ अब वैसा नहीं था जैसा पहले था।
एडवर्ड के होटल के कमरे में एक अजीब कागज़ पड़ा मिला — बिना नाम का, बिना हस्ताक्षर का। उस पर सिर्फ एक वाक्य लिखा था:
> *“तुमने लौ बुझा दी, लेकिन छाया अब तुम्हें ढूँढ़ रही है।”*
उसी रात, होटल के नीचे एक बुज़ुर्ग इतिहासकार की रहस्यमयी मौत हो गई — उसकी आँखें खुली थीं, जैसे मरते वक़्त वह किसी परिचित चेहरे को देख रहा हो।
---
पुनर्जन्म का संकेत**
पॉल ने अगले दिन अचानक कहा, “मुझे कुछ याद आ रहा है… जैसे कोई सपना। एक शहर… नीली दीवारें… एक लड़की जो मुझे ‘रानी’ कहती है… और एक आदमी जो हँसता है, और कहता है — ‘तुम्हारा पुनर्जन्म असफल होगा।’”
अब्दुल ने कहा, “नीली दीवारें? वह तो सिर्फ *शिबाम* नामक शहर में मिलती हैं — यमन में।”
लेला चौंकी, “क्या अब हमें वहाँ जाना होगा?”
एडवर्ड ने धीमे स्वर में कहा,
“अगर रानी की आत्मा अभी भी चैन नहीं पा सकी… तो उसकी खोज अभी ख़त्म नहीं हुई है। पॉल उसका वाहक बन चुका है… और शायद हमें रानी के पुनर्जन्म की सच्ची कहानी खुद जाकर तलाशनी होगी।”
---
**अंतिम दृश्य**
हवा एक बार फिर बदलने लगी थी — जैसे रेगिस्तान किसी आने वाले तूफ़ान की भनक दे रहा हो। और दूर, रेगिस्तान की रेत पर एक धुँधली परछाईं बन रही थी — जो किसी और के जागने की तैयारी थी।
---
यमन की ओर यात्रा
काहिरा से यमन की यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन जिस रहस्य में
वे उलझ चुके थे, उसमें पीछे हटने का
कोई विकल्प नहीं था। एडवर्ड, पॉल, अब्दुल और लेला, चारों अब एक नयी दिशा में निकल पड़े — उस शहर की ओर, जिसे 'रेत की मीनारों वाला
शहर' कहा जाता है: शिबाम।हवाई
अड्डे से बाहर निकलते ही उन्हें एक और संकेत मिला — एक स्थानीय बुज़ुर्ग ने बिना कुछ पूछे, पॉल की ओर देखा और
कहा,
“वो फिर लौट आई है… वही आँखें… वही साया…”पॉल स्तब्ध रह गया। “क्या ये लोग मुझे
पहचानते हैं… या उस आत्मा को जो
मेरे भीतर है?”
अब्दुल फुसफुसाया, “शायद दोनों।”
प्राचीन मंदिर की
खोज
शिबाम की तंग गलियों में घूमते हुए, उन्हें एक पुराना, ध्वस्त मंदिर मिला।
स्थानीय लोग उसे “साया का स्थान” कहते थे, और कोई भी वहाँ नहीं
जाता था।
दीवारों पर प्राचीन चित्र उकेरे थे — एक रानी, जो आग से घिरी थी… और एक व्यक्ति, जो उसके सामने झुका
हुआ था। लेकिन उसका चेहरा अस्पष्ट था — जैसे जानबूझकर मिटाया गया हो।
पॉल उस चित्र को देखकर काँपने लगा।
“मैं जानता हूँ ये
कौन है… वो वज़ीर… वह हर जन्म में अपने
चेहरे को छिपा लेता है… लेकिन वह अब भी हमारे
आसपास है।”
रहस्य गहराता है
मंदिर के भीतर एक पत्थर की मेज़ थी, जिस पर कुछ नक़्शे
और अक्षर खुदे थे। अब्दुल ने उन्हें पढ़ने की कोशिश की:
“जब रक्त ने धोखा दिया, तो आत्मा ने लौटने
की कसम खाई।
जहाँ सात रेतघड़ियाँ मिलती हैं, वहाँ पुनर्जन्म का
द्वार खुलेगा।”
लेला ने सवाल किया, “रेतघड़ियाँ? क्या ये संकेत हैं
किसी स्थान के?”
एडवर्ड ने अपने नक़्शे को देखा — और कहा, “यहाँ से लगभग सौ किलोमीटर
दूर, एक पुराना मरुस्थलीय
क्षेत्र है जिसे ‘सप्त-धारा’ कहा जाता है… शायद वहीं।”
आत्मा का साया
उस रात, पॉल को एक सपना आया।
वह खुद को किसी सुनहरी महल में पाता है — सामने एक रानी है, जो रक्त से सनी हुई
है। वह धीरे से कहती है:
“मेरे बच्चों की हत्या
करने वाला अब फिर जन्मा है… और तुम्हारा शरीर
उसका द्वार बनने वाला है…”
पॉल चिल्लाकर उठा। उसकी हथेली में एक नया चिह्न
था — यह एक वृत्त था, जिसके भीतर सात बिंदु
थे — ठीक वैसा जैसा उन्होंने
मंदिर में देखा था।
5. छल और विश्वासघात
का पुनरावृत्ति
अगले दिन वे ‘सप्त-धारा’ पहुँचे। वहाँ, सात पत्थर के खंभे
थे — हर एक एक दिशा की
ओर इशारा कर रहा था। लेकिन जैसे ही उन्होंने उन पर हाथ रखा, ज़मीन थरथराने लगी।
अचानक अब्दुल की आँखें बदल गईं — काली, गहरी और निर्जीव।
“तुम लोग बहुत दूर
चले आए हो…” उसने एक अजनबी आवाज़
में कहा।
एडवर्ड पीछे हटा, “अब्दुल…?”
“अब्दुल अब नहीं रहा,” वह हँसा। “मैं वही हूँ जिसने
रानी को धोखा दिया… और अब मैं फिर जन्म
ले चुका हूँ — ताकि उसका चक्र अधूरा
ही रहे…”
लेला चिल्लाई, “नहीं… तुम फिर वही करोगे…!”
“हाँ,” उसने कहा। “लेकिन इस बार, रानी मुझसे नहीं जीत
पाएगी। क्योंकि इस बार… मैंने उसके शरीर को
ही अपना बना लिया है।”
6. चक्र पूर्ण होने की
ओर
पॉल ने अपनी हथेली उठाई — उसमें मौजूद चिह्न
अब जलने लगा था। वह चीख पड़ा, “अगर तुम वही हो… तो मैं भी वही हूँ… मैं उस आत्मा का संरक्षक
हूँ — और मैं इस चक्र को
यहीं समाप्त करूँगा।”
चारों ओर हवा गरजने लगी। सातों स्तंभों से रोशनी
निकलने लगी। खंभों के केंद्र में एक द्वार प्रकट हुआ — धुंध से बना, पर जीवित।
और फिर, वहाँ से एक स्त्री की आकृति निकली — अनक-सेरा।
उसकी आँखें आंसुओं से भरी थीं।
“मुझे न्याय चाहिए… पर शांति भी…”
वह अब्दुल की ओर बढ़ी — या कहें, उस शक्ति की ओर, जो उसके भीतर थी।
और फिर…
आत्मा और न्याय
जब अनक-सेरा की आकृति अब्दुल की ओर बढ़ी, तो चारों की सांसें
थम सी गईं। उसका चेहरा उदास था, लेकिन उसकी आँखों में अदम्य शक्ति थी। उसकी आवाज़, जो पहले केवल फुसफुसाहट
थी, अब पूरी तरह स्पष्ट
हो उठी।“तुमने मुझे धोखा दिया, मेरे सपनों को तोड़ा, मेरे बच्चों को मारा… पर अब न्याय का समय
आ गया है,” वह बोली।अब्दुल, जो अब उस प्राचीन
वज़ीर की आत्मा का वाहक बन चुका था, ठहर गया। उसकी आँखें झुकीं, और भीतर झंझावत हुई।पॉल
ने दृढ़ता से कहा, “इस बार हमें इस चक्र
को तोड़ना होगा। तुम मेरी आत्मा के भीतर छिपी शक्ति हो, और मैं तुम्हारे साथ
खड़ा हूँ।”एडवर्ड और लेला ने
भी अपने आप को तैयार किया —
वे जानते थे कि अब
एक अंतिम लड़ाई होने वाली थी। यह केवल एक शारीरिक युद्ध नहीं था, बल्कि आत्मा और न्याय
की लड़ाई थी।
न्याय का संघर्ष
अनक-सेरा की आत्मा अब्दुल के अंदर झड़पने लगी, लेकिन अब्दुल की आत्मा
भी मजबूती से उससे लड़ रही थी। उसके मन में एडवर्ड और लेला की यादें आईं — उनकी उम्मीदें, उनकी लड़ाई।
“तुम मेरे शरीर को
नहीं, बल्कि मेरी इच्छा
को जीतोगी,” अब्दुल ने आवाज़ में
ठहराव के साथ कहा।उसके हाथों से नीली रौशनी निकलने लगी, जो अनक-सेरा की घने
अंधकार को चीर रही थी। एडवर्ड ने उस रोशनी को कैमरे में कैद करने की कोशिश की ताकि
इस शक्ति का रहस्य सामने लाया जा सके।
लेकिन अनक-सेरा ने अचानक आवाज़ लगाई, “यह युद्ध केवल तुम्हारे
लिए नहीं, बल्कि भविष्य के लिए
है। जो मैं शुरू करूँगी, वह पृथ्वी को नया
युग देगा।”लेला ने कांपती आवाज़
में कहा, “पर क्या कीमत पर? क्या हम फिर से वही
गलती दोहराएंगे?”
यह लड़ाई अब सिर्फ तीनों की नहीं थी — यह इंसानियत की लड़ाई
थी।
अगर आप चाहें तो मैं इसी तरह आगे विस्तार से लिखता
हूँ।
प्राचीन रहस्यों का
खुलासा
अब्दुल की नीली रोशनी और अनक-सेरा के काले अंधकार
के बीच की लड़ाई तेज होती चली गई। पिरामिड की दीवारें कंपन करने लगीं, और हवा में बिजली
की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी।
एडवर्ड ने डायरी खोलकर जल्दी से उस रहस्यमयी प्राचीन
पाठ को पढ़ना शुरू किया, जो पॉल के शरीर में
समाई अनक-सेरा के प्राचीन वंश का राज खोल सकता था।
"यहाँ लिखा है," एडवर्ड ने आवाज़ धीमी
करते हुए कहा, "कि अनक-सेरा केवल
विनाश की देवी नहीं, बल्कि पुनर्जन्म की
शक्ति भी है। उसका उद्देश्य पृथ्वी को एक नए संतुलन में लाना है — पर उसके लिए बलिदान
आवश्यक हैं।"
लेला ने घबराई हुई आवाज़ में पूछा, "क्या वह हमें भी बलिदान
कर देगी?"
"अगर हम उसकी शक्ति
को समझ कर सही तरीके से उसका सामना नहीं करते, तो हाँ," अब्दुल ने गंभीरता से कहा।
तभी, एक प्राचीन मंत्र की गूँज पिरामिड में फैल गई — ऐसा लगा जैसे किसी
ने हजारों साल बाद उसे आवाज़ दी हो।
अचानक, अनक-सेरा के स्वर में नरमी आई, "तुम समझो या न समझो, यह युग बदलेगा। तुम चाहे लड़ो या
भागो, नियति का चक्र जारी
रहेगा।"
एडवर्ड ने दृढ़ निश्चय से कहा, "हम भागेंगे नहीं।
हम तुम्हें इस शाप से मुक्त करेंगे, चाहे जो भी हो।"
अब्दुल ने अपनी हथेलियों की चमकती हुई चिन्हों की
ओर देखा और बोला, "अब समय है उस शक्ति
को जगाने का, जो अनक-सेरा के विरुद्ध
काम आएगी।"
चाहें तो मैं इसी तरह अगले भाग में लड़ाई और समाधान
के पहलुओं को भी विस्तार से लिख सकता हूँ। बताइए?
प्राचीन शक्ति का
संघर्ष
एडवर्ड, अब्दुल और लेला ने मिलकर उस प्राचीन मंत्र को दोहराना
शुरू किया, जो डायरी में था।
हवा में एक सघन ऊर्जा फैलने लगी, और पिरामिड के अंदर के रहस्यमय चिन्ह चमकने लगे।
पॉल, जिसकी आँखें अब अनक-सेरा की आत्मा से भरी थीं, धीरे-धीरे लड़खड़ा
गया। उसकी आवाज़ में अब पहले जैसी कठोरता नहीं थी, बल्कि उसमें उलझन और दर्द झलक रहा था।
"मुझे छोड़ दो…" उसने कमजोर होकर कहा, "यह शक्ति मेरे भीतर
तोड़फोड़ कर रही है।"
अब्दुल ने अपनी ऊर्जा को केंद्रित किया और अपनी
हथेलियों से प्राचीन चिन्हों की चमक और तेज़ कर दी। उन्होंने जोर से मंत्र दोहराया, और अचानक एक तेज़
रोशनी की लहर पॉल के शरीर से निकलकर पिरामिड की छत तक उठी।
रोशनी की चमक के बीच, पॉल ने गहरी साँस
ली और जैसे-जैसे रोशनी कम होती गई, उसकी आँखों में फिर से वह पहचान आने लगी जो वह पहले
था।
"एडवर्ड…" पॉल ने धीरे से कहा, "तुमने मुझे बचा लिया।
लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। अनक-सेरा की आत्मा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई
है।"
एडवर्ड ने पॉल का हाथ थामा, "हम साथ हैं, और साथ रहेंगे। इस
रहस्य को हम पूरी दुनिया को बताएंगे ताकि कोई भी इसके प्रभाव में न आए।"
पिरामिड के अंदर की हवा अब शांत हो गई थी, लेकिन बाहर का रेगिस्तान
अब भी एक अनजाने खतरे का संकेत दे रहा था।
"हम लौटें और तैयारी
करें," अब्दुल ने कहा, "क्योंकि यह संघर्ष
अभी सिर्फ शुरुआत है।"
उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया और वहाँ की एक पुरानी लाइब्रेरी में अपने संपर्कों की मदद से उन्होंने डायरी का अध्ययन शुरू किया।
डायरी के पन्नों में छिपे संकेत
डायरी के अंतिम पन्नों में कुछ अस्पष्ट चित्र बने हुए थे — ये कोई आम चित्र नहीं थे। जब उन पर नीली रोशनी (जिसे अब्दुल ‘प्रकाश का जीवन बीज’ कहता था) डाली गई, तो वे चमकने लगे।
एडवर्ड ने देखा, “ये तो पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों के मानचित्र जैसे हैं… और ये चिह्न शायद उन स्थानों के हैं जहाँ बाकी ‘बीज’ छुपाए गए हैं।”
पॉल, अब भी मानसिक और आत्मिक थकान से जूझते हुए, धीरे से बोला, “जब मैं अनक-सेरा के प्रभाव में था, तब मुझे कुछ स्थानों के दर्शन हुए थे — एक गहरी गुफा, एक बर्फ से ढकी चोटी, और एक विशाल जल मंदिर… हर जगह एक ऊर्जा थी… एक जीवन… और एक श्राप।”
पहला संकेत – भारत की ओर
अब्दुल ने कहा, “इस चिन्ह को देखो — ये बहुत कुछ प्राचीन भारत के ‘एलोरा की गुफाओं’ जैसा लगता है। क्या संभव है कि एक बीज वहाँ छुपा हो?”
एडवर्ड ने उत्साह से सिर हिलाया, “अगर यह सच है, तो हमें तत्काल भारत के लिए रवाना होना होगा। शायद वही हमारी अगली कड़ी है।”
पॉल ने धीरे से कहा, “मगर अब जो रास्ता हम चुन रहे हैं, वह साधारण यात्रा नहीं है। हर बीज की रक्षा एक आत्मा कर रही है… और वह आत्मा मेरी तरह किसी को भी अपना वाहन बना सकती है।”
अज्ञात निगरानी
उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि कोई उनकी हर हरकत पर नज़र रख रहा है। दूर एक अँधेरे कमरे में, काली पोशाक पहने एक औरत एक प्राचीन दर्पण में उनकी तस्वीरें देख रही थी।
“तो वे जाग चुके हैं…” उसने बुदबुदाया, “और वे बीजों के पीछे हैं। मगर यह खेल अभी लंबा चलेगा… क्योंकि मैं, अनकेसरा की सेविका, सदियों से उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थी।”
नई यात्रा की शुरुआत
तीनों दोस्तों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी — भारत के लिए उड़ान, एलोरा की गुफाओं की छानबीन और बीज की खोज। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि अब वे केवल इतिहास के रहस्य नहीं, बल्कि एक अदृश्य युद्ध में कूद चुके हैं — जहाँ हार का मतलब सिर्फ मृत्यु नहीं, बल्कि आत्मा का दासत्व था।
एलोरा की आत्मा
भारत के पश्चिमी भाग में स्थित औरंगाबाद के पास, एलोरा की गुफाएँ चट्टानों को काटकर बनाई गई थीं। बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म की मिलीजुली वास्तुकला से युक्त ये गुफाएँ सिर्फ इतिहास का नमूना नहीं थीं — ये समय के परे छुपे किसी रहस्य का द्वार थीं।
एडवर्ड ने जैसे ही गुफा संख्या 16 — कैलाश मंदिर — में कदम रखा, एक अजीब सिहरन उसकी रीढ़ में दौड़ गई। “यहाँ की दीवारें... कुछ कह रही हैं,” वह बुदबुदाया।
रहस्यमय नक्काशी
अब्दुल ने ध्यान से दीवारों की नक्काशियों को देखा। वहाँ एक चित्र था — एक महिला, जिसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, और उसके हाथों में एक बीज था जो आग की लपटों में लिपटा हुआ था।
“यह वही है,” अब्दुल ने धीमे स्वर में कहा, “बीजों की रक्षक आत्मा — अग्निकुंडा। अनकेसरा की बहन। उसने अपना शरीर त्यागकर इस बीज की रक्षा का व्रत लिया था।”
पॉल कुछ असहज महसूस कर रहा था। उसके सिर में हल्का दर्द होने लगा था। उसकी आँखों के सामने अचानक वही स्त्री दिखने लगी — जो पिरामिड के दर्पण में नज़र आई थी।
“वह यहाँ है… वह हमें देख रही है,” पॉल ने काँपती आवाज़ में कहा।
आत्मा का प्रकट होना
जैसे ही वे गुफा के गर्भगृह में पहुँचे, एक तेज़ झोंका अंदर से आया। दीये खुद-ब-खुद जल उठे। एक स्वर गूंजा:
“तुम बीज की तलाश में आए हो… मगर क्या तुम उसकी कीमत चुकाने को तैयार हो?”
सामने की हवा अचानक गाढ़ी होने लगी। धुएँ से एक आकृति बनी — वह एक स्त्री थी, चंदन से सजी, पर आँखों में आग थी।
“मैं अग्निकुंडा हूँ,” वह बोली, “मुझे सौंपा गया था वह बीज जो पुनरुत्थान ला सकता है… मगर साथ ही दुनिया को नष्ट भी कर सकता है।”
एडवर्ड ने आगे बढ़कर कहा, “हमें उस बीज की ज़रूरत है… अनकेसरा फिर से जाग चुकी है… और पॉल… पॉल को बचाना है…”
“तुम्हारा मित्र अब अधूरा है,” अग्निकुंडा बोली, “उसकी आत्मा में दरार पड़ चुकी है। यदि तुम बीज चाहते हो, तो तुम्हें उसके लिए बलिदान देना होगा — एक जीवित हृदय की तपस्या…”
पॉल का संघर्ष
पॉल अब बुरी तरह कांप रहा था। वह ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आँखों से खून के आँसू बहने लगे।
“नहीं… मैं दोबारा वाहक नहीं बनना चाहता… मुझे आज़ाद करो…” उसने चिल्लाकर कहा।
लेकिन अग्निकुंडा ने अपनी हथेली उठाई और हवा में एक चिन्ह बनाया। एक गहरा काला वृत्त पॉल के चारों ओर बना और वह उसमें कैद हो गया।
“यदि तुम उसे बचाना चाहते हो,” उसने कहा, “तो तुम्हें आत्मा की गहराई में उतरना होगा — और वहाँ उस बीज की रक्षा करने वाले अस्तित्व का सामना करना होगा। वह अस्तित्व न प्रकाश है, न अंधकार… वह केवल संतुलन है।”
आत्मिक द्वार की ओर
दीवार की एक ओर एक गुप्त द्वार खुला — पर वहाँ कोई सीढ़ियाँ नहीं थीं। केवल अंधकार था, और उसके पार एक नीला प्रकाश टिमटिमा रहा था।
एडवर्ड और अब्दुल ने एक-दूसरे की ओर देखा। बिना कोई और सवाल किए, दोनों उस द्वार में उतर गए।
उनके पीछे अग्निकुंडा का स्वर गूंजा, “इस मार्ग में सत्य मिलेगा — पर हर सत्य की कीमत होती है।”
अध्याय अंतिम: रक्त का उत्तराधिकारी
टूटे दिल और अपूर्ण खोज
एडवर्ड और अब्दुल के लिए रेगिस्तान की गर्म हवा अब किसी यातना से कम नहीं थी। पीछे रह गया था एक दोस्त — पॉल — जो अब एक मानव शरीर नहीं, बल्कि एक प्राचीन आत्मा का वाहक बन चुका था। उनके पास अब थी बस वह रहस्यमयी डायरी, जिसे उन्होंने पिरामिड से निकाल लिया था।
"क्या तुम सोचते हो कि हम उसे कभी वापस पा सकेंगे?" एडवर्ड ने धीमे स्वर में पूछा।
अब्दुल कुछ देर चुप रहा। फिर बोला, "अगर रानी ने उसे चुना है, तो शायद उसका भाग्य अब उसके वश में नहीं रहा… लेकिन एक रास्ता ज़रूर होगा। हर शाप का कोई तोड़ होता है।"
डायरी का रहस्य खुलता है
वापस काहिरा पहुंचकर, दोनों ने डायरी को ध्यान से पढ़ना शुरू किया। उसमें ना सिर्फ अनक-सेरा की जीवनकथा थी, बल्कि कुछ ऐसे संकेत भी थे जो भविष्य में होने वाली घटनाओं की ओर इशारा करते थे — जैसे भविष्यवाणी।
"जब पश्चिम की धरती से कोई आग लेकर आएगा,
और पूर्व की रेत में रक्त बहेगा,
तभी रानी का चक्र पूर्ण होगा,
और नया युग जन्म लेगा।"
"ये ‘आग’ और ‘रक्त’ का क्या अर्थ है?" एडवर्ड ने परेशान होकर पूछा।
अब्दुल ने धीरे से उत्तर दिया, "शायद इसका मतलब कोई आधुनिक तकनीक है — या कोई विज्ञान जो रानी की आत्मा को स्थायी रूप से मुक्त कर सकता है।"
पॉल की वापसी — पर एक नये रूप में
एक रात, जब एडवर्ड अपनी स्टडी में बैठा डायरी पढ़ रहा था, खिड़की से एक ठंडी हवा का झोंका आया। और उसके ठीक सामने, अंधेरे से बाहर आया एक साया।
वह पॉल था।
पर अब उसकी आँखों में पहले जैसा जीवन नहीं था। वे खाली थीं, लेकिन कहीं गहराई में एक याचना छिपी थी।
"एडवर्ड…" उसकी आवाज़ आई, जो इंसानी कम और किसी और लोक की अधिक थी।
"पॉल… क्या तुम हो?"
"मुझे… बचाओ… वह मुझे पूरी तरह अपने अधीन कर रही है…"
फिर अचानक उसका शरीर झटके से पीछे खिंच गया — जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे खींच रही हो। कमरे की बत्तियाँ बुझ गईं, और फिर सन्नाटा।
मिशन: आत्मा की मुक्ति
अब्दुल और एडवर्ड ने तय कर लिया — उन्हें पॉल को मुक्त कराना है, चाहे इसके लिए उन्हें वापस पिरामिड क्यों ना जाना पड़े। लेकिन इस बार वे खाली हाथ नहीं जाना चाहते थे।
उन्होंने एक मिस्री विद्वान प्रोफेसर अमीन को शामिल किया, जो प्राचीन आत्माओं और शापों पर वर्षों से शोध कर रहे थे। अमीन ने बताया कि आत्माओं को मुक्त करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान होता है — जिसे केवल चंद्र ग्रहण की रात को, उसी समाधि में संपन्न किया जा सकता है जहाँ आत्मा जागृत हुई थी।
"यह कार्य सरल नहीं होगा," प्रोफेसर अमीन ने चेतावनी दी। "अगर अनुष्ठान में एक भी त्रुटि हुई, तो तुम सबके शरीर भी आत्मा के अधीन हो सकते हो।"
अंतिम यात्रा
ग्रहण की रात, वे तीनों — एडवर्ड, अब्दुल और प्रोफेसर अमीन — आवश्यक सामग्री लेकर फिर से पिरामिड पहुँचे।
रास्ता अब पहले जैसा नहीं था। रेत मानो उनका रास्ता रोक रही थी, और हवा में एक अजीब सी घुटन थी। समाधि का द्वार इस बार पहले से खुला था — जैसे कोई उनकी प्रतीक्षा कर रहा हो।
अंदर पहुंचते ही पॉल सामने आ गया — अब पूरी तरह अनक-सेरा का अवतार बन चुका।
"तुम लोग… दोबारा आए हो… क्या मृत्यु की चाह है?"
"हम तुम्हें मुक्त करने आए हैं," एडवर्ड ने साहस जुटा कर कहा।
एक क्षण के लिए, पॉल की आँखें काँपीं — जैसे कहीं अंदर असली पॉल ने सुना हो।
अंतिम अनुष्ठान
प्रोफेसर अमीन ने संस्कृत और प्राचीन मिस्री मन्त्रों से युक्त अनुष्ठान प्रारंभ किया। वातावरण में कंपन फैलने लगा। पॉल/अनक-सेरा चीखने लगे — जैसे आत्मा दो भागों में बँट रही हो।
"यह… असंभव है…!" पॉल की आवाज़ आई। "मुझे मत छोड़ो… मुझे शांति चाहिए…"
और फिर, एक तेज़ रोशनी फूटी — अनक-सेरा की आत्मा, जो अब तक पॉल के शरीर में थी, उसके ऊपर मंडराने लगी। वह स्त्री आकृति, जो ममी की तरह दिखती थी, धीरे-धीरे ऊपर उठी — और फिर ज़ोरदार विस्फोट के साथ हवा में बिखर गई।
नया सूरज
ग्रहण समाप्त हुआ।
पॉल ज़मीन पर बेसुध पड़ा था — लेकिन अब उसकी साँसें सामान्य थीं, चेहरा शांत।
"हमने उसे बचा लिया…" एडवर्ड ने कहा, उसकी आँखों में आँसू थे।
अब्दुल ने धीरे से रेत उठाकर हवा में उड़ाई, जैसे किसी आत्मा को अंतिम विदाई दे रहा हो।
उपसंहार
कई सप्ताह बाद…
पॉल अस्पताल में धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा था। उसे बीते दिनों की बहुत कम याद थी, लेकिन अंदर एक अजीब-सी शांति महसूस होती थी।
एडवर्ड ने डायरी को एक संग्रहालय को सौंप दिया, इस शर्त पर कि उसे कभी ना खोला जाए।
अब्दुल अपने गाँव लौट गया, लेकिन उसने कहा — “अगर फिर कोई आत्मा जागी, तो मैं वापस आऊँगा।”
अंतिम पंक्तियाँ
रात को एडवर्ड ने अपनी स्टडी में बैठे हुए अंतिम वाक्य डायरी में लिखा:
"हमने आत्मा को मुक्त किया,
लेकिन सवाल यह है —
क्या आत्मा कभी सच में सो पाती है?"
वह खिड़की से बाहर देखने लगा। चाँद पूरा था। रेगिस्तान दूर चमक रहा था।
और हवा में अब भी कोई साँस ले रहा था… शायद अनक-सेरा… एक बार फिर जागने की प्रतीक्षा में।
0 Comments